Lord Krishna Quotes in Hindi: भगवान कृष्ण के ये 110+ अनमोल वचन आपके जीवन को बदल देंगे! प्रेम, कर्म, धैर्य और आत्मज्ञान से जुड़ी इन शिक्षाओं को पढ़कर आपका हर संदेह दूर हो जाएगा। गीता का सार, राधा-कृष्ण का प्रेम और जीवन की हर चुनौती का समाधान – सब कुछ इस लेख में। पढ़िए और अपने मन को शांति दीजिए। 🚩💛
परिचय
भगवान श्रीकृष्ण न केवल एक दिव्य अवतार हैं, बल्कि जीवन के हर पहलू के सर्वश्रेष्ठ गुरु भी हैं। उनके वचनों में इतनी शक्ति है कि वे मनुष्य को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं। चाहे गीता का ज्ञान हो, राधा के प्रति उनका प्रेम हो, या फिर महाभारत के युद्ध में अर्जुन को दिया गया उपदेश – श्रीकृष्ण की हर बात आज भी प्रासंगिक है।
इस लेख में, हम आपके लिए 110+ भगवान श्रीकृष्ण के अनमोल वचन लेकर आए हैं, जो आपके जीवन में नई ऊर्जा, प्रेरणा और शांति भर देंगे। ये कोट्स प्रेम, कर्म, भक्ति, धैर्य और सफलता के रहस्यों को उजागर करते हैं। आइए, इन्हें पढ़कर अपने जीवन को कृष्णमय बनाएँ!
भगवान कृष्ण के कोट्स हिंदी में (Lord Krishna Quotes in Hindi)
“जो दिल में सच्चा है, वही रास्ते में साथ देगा।
भक्ति बिना भगवान भी अधूरा, और भगवान बिना भक्ति भी अधूरी।”
“माया के मोहपाश में बंधा मन,
उसी को ‘कर्म’ का भ्रम हुआ।
निष्काम कर्म ही असली मुक्ति है,
यही गीता का सार है।”
“डर किस बात का? मृत्यु तो वस्त्र बदलने जैसी है,
आत्मा न तो जन्म लेती है, न मरती है।
बस याद रखो—तुम आत्मा हो, शरीर नहीं।”
“प्रेम में कोई शर्त नहीं, कोई हिसाब नहीं।
राधा ने मुझे बिना माँगे दिया, मैंने उसे बिना पूछे अपना लिया।”
“जीवन संग्राम है, लेकिन डरो नहीं।
अर्जुन, उठो! तुम्हारे रथ का सारथी स्वयं नारायण है।”
“मन चंचल है, इसे संयम से बाँधो।
जैसे मैंने कालिया नाग को नियंत्रित किया,
वैसे ही तुम अपने विचारों को वश में करो।”
“भक्ति में इतना डूब जाओ कि ‘मैं’ खो जाए,
तब तुम्हारी हर धड़कन में बाँसुरी बजेगी।”
“कर्म करो, फल की चिंता मत करो।
परिणाम मेरे हाथ में है, तुम्हारा धर्म केवल कर्तव्य निभाना है।
“जो सच्चे मन से मांगता है, उसे कभी खाली हाथ नहीं लौटाया।
लेकिन याद रखो—मैं हृदय की भाषा समझता हूँ, शब्दों की नहीं।”
“तुम्हारी लीला भी मेरी लीला है,
तुम्हारा संघर्ष भी मेरा खेल है।
बस विश्वास रखो, मैं हर पल तुम्हारे साथ हूँ।”
“मन की गहराई में झाँको—वहाँ मैं बैठा हूँ।
मंदिरों की मूर्तियों से पहले, तुम्हारे विश्वास में मेरा वास है।”
“जीवन का हर दुःख एक संदेशवाहक है,
जो तुम्हें मेरी ओर मोड़ने आया है।
उसे दुश्मन समझकर भगाओ मत, पाठ समझकर गले लगाओ।”
“तुम्हारी इच्छाएँ आकाश के बादलों जैसी हैं,
जब ‘मैं’ का सूर्य उगेगा, सब स्वतः विलीन हो जाएगा।”
“भक्ति का रंग ऐसा चढ़ाओ कि
हँसते हुए तुम्हारे आँसू भी मेरे नाम बन जाएँ।”
“धर्म और अधर्म की लड़ाई में,
सत्य का झंडा थामे खड़े रहो।
याद रखो—अन्याय के आगे चुप्पी,
अधर्म की सहमति है।” (महाभारत का सार)
“प्रेम की डोर इतनी मजबूत बनाओ कि
मृत्यु भी उसे काट न सके।
राधा की तरह प्रेम करो, फिर देखो माया कैसे झुकती है।”
“जब लगे जीवन अंधकार से भर गया है,
तब समझ लो—मैं तुम्हारी परीक्षा ले रहा हूँ।
रात के बाद ही तो भोर का उजाला होता है।”
“कर्म करो पर ऐसे कि
तुम्हारा हर कदम प्रार्थना बन जाए,
हर साँस मंत्र बन जाए।”
“मोह छोड़ो मगर ममता मत छोड़ो।
अर्जुन, तुम्हारा धनुष ही तुम्हारा ‘कर्मयोग’ है,
और मेरी मर्जी ही तुम्हारी मंजिल।”
“मैं बचपन की हँसी भी हूँ और युद्ध के रणभेरी भी।
जो मुझे पूर्ण समर्पित होगा,
उसके जीवन में हर भूमिका लीला बन जाएगी।”
“मैं उस मौन में बोलता हूँ, जब तुम्हारे प्रश्नों का उत्तर शब्दों से परे हो जाता है।
सुनने वाला हृदय चाहिए, कान नहीं।”
“तुम्हारा संघर्ष तब तक है, जब तक तुम ‘अहं’ को योद्धा समझते हो।
जिस दिन समर्पण करोगे, उस दिन अर्जुन की तरह मैं तुम्हारा सारथी बन जाऊँगा।”
“भक्ति का मार्ग सीधा है, पर इतना सरल नहीं।
जैसे बाँसुरी के छिद्रों से सुर निकलते हैं, वैसे ही तुम्हारी पीड़ा से प्रेम की धुन निकलेगी।”
“जब तक तुम ‘पाने’ की चाह में हो, तब तक मैं दूर हूँ।
जिस क्षण ‘देने’ को तैयार होगे, उसी पल मैं तुम्हारे हाथों में होऊँगा।”
“माया उस पारदर्शी धागे की तरह है, जो तुम्हें बाँधती नहीं—बस याद दिलाती है कि ‘बंधन’ भी मेरी ही लीला है।”
“तुम्हारी आँखों के आँसू मेरे चरणों में गिरने वाले मोती हैं।
हर एक को मैं संभालकर रखता हूँ, फिर उसे तुम्हारे जीवन के हार में पिरो देता हूँ।”
“कर्म करो, पर ऐसे कि तुम्हारे हाथों की हर रेखा मेरे नाम से लिखी जाए।
फिर चाहे वह तलवार हो या हल—सब पवित्र हो जाएगा।”
“तुम मुझे खोज रहे हो? मैं तो उस पथिक की तरह हूँ, जो तुम्हारे साथ चल रहा है,
बस तुम्हारी आँखें ‘देखने’ के लिए नहीं, ‘पहचानने’ के लिए खोलो।”
“जब तुम ‘मैं’ और ‘मेरा’ को छोड़ दोगे, तब तुम्हारी बाँसुरी की धुन में मेरी ही आवाज़ गूँजेगी।
राधा ने यही किया था—इसलिए वह मुझमें लीन हो गई।”
“मृत्यु से डरो मत। वह तो उस गोपी की तरह है, जो दीपक बुझाते ही प्रकाश को समेट लेती है।
पर जानो कि प्रकाश कहीं जाता नहीं—बस स्वरूप बदल लेता है।”
- “मेरी लीला समझनी हो तो बच्चे की हँसी और बाँसुरी की धुन में ढूँढ़ो।”
- “जो डर गया वो हार गया, जो हँस दिया वो मुझे पा गया।”
- “तुम्हारी आँखों के आँसू मेरे चरणों में गिरे मोती हैं।”
- “मैं नटखट हूँ पर न्यायी भी, जैसे माखन चुराया पर सुदामा को राज दिया।”
- “जब तक ‘मैं’ है तब तक ‘तू’ है, जब ‘मैं’ मिटा तो सब ‘तू’ ही ‘तू’ है।”
- “प्रेम की डोर इतनी मजबूत बनाओ कि जन्म-जन्मांतर न टूटे।”
- “मैं उस पल सबसे नजदीक होता हूँ जब तुम्हें लगता है मैं सबसे दूर हूँ।”
- “कर्म करते जाओ, फल की चिंता मुझ पर छोड़ दो।”
- “तुम्हारा हर संघर्ष मेरी नई लीला रचने की तैयारी है।”
- “जिसने अपने मन को वश में कर लिया, उसके हाथ में मेरी बाँसुरी है।”
- “मोह छोड़ो मगर प्रेम मत छोड़ो, क्योंकि मैं स्वयं प्रेम हूँ।”
- “जिस दिन तुम सच्चे मन से रो पड़ोगे, उस दिन मेरी बाँसुरी तुम्हारे लिए बज उठेगी।”
- “तुम्हारी हर गलती मेरे लिए एक नया अवसर है तुम्हें सही राह दिखाने का।”
- “धैर्य रखो, समय आने पर मैं हर गोवर्धन उठा लूँगा।”
- “तुम्हारा विश्वास ही वह मक्खन है जिसे मैं सबसे अधिक चाव से खाता हूँ।”
- “जीवन के हर तूफान में शांत रहो, मैं नाविक हूँ तुम्हारी नैया का।”
- “तुम्हारी भक्ति का एक पल मेरे लिए युगों से बढ़कर है।”
- “मैं तुम्हारे सुख में नाचूँगा और दुख में संग जीतूँगा।”
- “तुम जितना मुझे दोगे, मैं उससे कहीं अधिक लौटाऊँगा – यही मेरी लीलाओं का नियम है।”
- “मेरी महिमा का अंत नहीं, क्योंकि जहाँ प्रेम है वहाँ मैं हूँ, और प्रेम अनंत है।”
- “मेरी माया उस मक्खन जैसी है जिसे पकड़ना चाहो तो फिसलता है, छोड़ दो तो हाथ में चिपक जाता है।”
- “जब तक ‘मैं’ का भाव है, तब तक ‘तू’ का भ्रम है।”
- “मैं उस क्षण में हूँ जब तुम्हारी सांसें मेरे नाम से टकराती हैं।”
- “तुम्हारी हर गलती मेरे लिए तुम्हें सही मार्ग दिखाने का बहाना है।”
- “जिसने अपने मन को वश में कर लिया, उसके लिए पूरा ब्रह्मांड माखन-भात है।”
- “मेरी लीलाएँ उन पत्तों की तरह हैं जिन्हें गिनना चाहो तो असंभव, आनंद लो तो अनंत।”
- तुम्हारा संघर्ष मेरी नई कहानी लिखने की प्रस्तावना है।
- “मैं न तो मंदिरों में बंद हूँ, न ग्रंथों में सीमित – मैं तो तुम्हारी हर सच्ची भावना में विराजमान हूँ।”
- “तुम जितना मुझे दोगे, मैं उससे कहीं अधिक लौटाऊँगा – यही तो मेरी लीला है।”
- “जीवन के हर तूफान में शांत रहो, क्योंकि मैं तुम्हारी नैया का मल्लाह हूँ।”
- “तुम्हारा विश्वास ही वह मक्खन है जिसे मैं सबसे प्रेम से खाता हूँ।”
- “मोह छोड़ो पर ममता मत छोड़ो, क्योंकि मैं स्वयं प्रेम हूँ।”
- “मैं तुम्हारे सुख में नाचूँगा और दुःख में संग जीतूँगा।”
- “जब तुम ‘पाने’ की चाह छोड़ दोगे, तब मैं तुम्हें स्वयं ही मिल जाऊँगा।”
- “तुम्हारी हर धड़कन मेरी बाँसुरी का स्वर बने, बस इतनी सी अभिलाषा है।”
- “मृत्यु से मत डरो, वह तो केवल वस्त्र बदलने जैसी है।”
- “तुम्हारा हर कर्म प्रार्थना बन जाए, यही तो कर्मयोग का सार है।”
- “मैं उस क्षण में हूँ जब तुम बिना माँगे देते हो।”
- “तुम्हारी आस्था की एक चिंगारी मेरी कृपा का सागर जला देगी।”
- “जीवन का हर दुख तुम्हें मेरे करीब लाने की योजना है।”
- “मेरी माया उस छाया की तरह है जिसे पकड़ना चाहो तो भाग जाती है।”
- “तुम्हारा हर संघर्ष मेरी नई लीला रचने का आधार है।”
- “जिसने अपने मन को जीत लिया, उसके लिए पूरा ब्रह्मांड खिलौना है।”
- “मैं न तो दूर हूँ न पास, मैं तो तुम्हारी सच्ची लगन में बसा हूँ।”
- “तुम्हारी हर गलती मेरे लिए तुम्हें सही राह दिखाने का अवसर है।”
- “जब तुम ‘मैं’ को भूल जाओगे, तब मैं तुममें प्रकट हो जाऊँगा।”
- “तुम्हारा हर आँसू मेरे चरणों में गिरा मोती बन जाता है।”
- “मैं उस पल सबसे निकट होता हूँ जब तुम्हें लगता है मैं सबसे दूर हूँ।”
- “कर्म करो पर ऐसे कि हर क्रिया पूजा बन जाए।”
- “जीवन के हर तूफान में शांत रहो, मैं तुम्हारी नैया का मल्लाह हूँ।”
- “तुम जितना मुझे दोगे, मैं उससे कहीं अधिक लौटाऊँगा – यही मेरी लीला है।”
- “मोह छोड़ो पर प्रेम मत छोड़ो, क्योंकि मैं स्वयं प्रेम हूँ।”
- “मृत्यु से मत डरो, वह तो केवल नए वस्त्र धारण करने जैसी है।”
- “मेरी महिमा का कोई अंत नहीं, क्योंकि प्रेम अनंत है और मैं प्रेम हूँ।”
- “मेरी लीला उस नदी की धारा सी है – जो सबको सींचती है पर किसी में बंधती नहीं।”
- “तुम्हारी हर सांस मेरा नाम ले, यही तो सच्ची भक्ति है।”
- “जिस दिन तुम ‘क्यों’ पूछना बंद कर दोगे, उस दिन मेरी लीला समझ आ जाएगी।”
- “मैं उस मौन में बोलता हूँ जब तुम्हारे शब्द खत्म हो जाते हैं।”
- “तुम्हारा संघर्ष मेरी नई कहानी लिखने का पहला पन्ना है।”
- “जो सच्चे मन से खोजता है, उसे मैं रास्ते में ही मिल जाता हूँ।”
- “तुम्हारी आँखों के आँसू मेरे चरणों में पड़े मोती हैं जिन्हें मैं संजोकर रखता हूँ।”
- “माया उस सुबह की धुंध की तरह है जो सूरज निकलते ही गायब हो जाती है।”
- “कर्म करो पर ऐसे जैसे हर कदम मेरे साथ उठ रहा हो।”
- “तुम्हारा हर दुख मेरे पास आने का रास्ता बन जाता है।”
- “मैं न तो मंदिरों में बंद हूँ न ग्रंथों में – मैं तो तुम्हारी सच्ची भावना में हूँ।”
- “तुम्हारी भक्ति का एक पल मेरे लिए युगों के तप से बढ़कर है।”
- “जीवन के हर तूफान में शांत रहो, मैं तुम्हारी नैया का खिवैया हूँ।”
- “मृत्यु से मत डरो, वह तो पुराने वस्त्र उतारने जैसी है।”
- “तुम्हारा हर कर्म प्रार्थना बन जाए, यही कर्मयोग का सार है।”
- “मेरी महिमा का अंत नहीं, क्योंकि जहाँ प्रेम है वहाँ मैं हूँ।”
- “तुम्हारी हर धड़कन मेरी बाँसुरी का स्वर बने, बस इतनी सी मेरी कामना है।”
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न और उत्तर
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भगवान कृष्ण के सबसे प्रसिद्ध कोट्स कौन-से हैं?
भगवान श्रीकृष्ण के सबसे प्रसिद्ध कोट्स में गीता के उपदेश शामिल हैं, जैसे:
– “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन” (तुम्हारा अधिकार केवल कर्म पर है, फल पर नहीं)
– “योगः कर्मसु कौशलम्” (कुशलता पूर्वक कर्म करना ही योग है)
इनके अलावा, उनके प्रेम और जीवन दर्शन से जुड़े कोट्स भी खासे लोकप्रिय हैं, जैसे: “जो सच्चे मन से मांगता है, उसे कभी खाली हाथ नहीं लौटाया।“ -
भगवान कृष्ण के प्रेम से जुड़े कोट्स क्या हैं?
श्रीकृष्ण और राधा के प्रेम से जुड़े कोट्स भक्ति और समर्पण की गहरी व्याख्या करते हैं, जैसे:
– “प्रेम में कोई शर्त नहीं होती, जैसे राधा ने मुझे बिना माँगे दिया।”
– “तुम मुझे भूल जाओ, मैं तुम्हें कभी नहीं भूलूँगा।”
ये कोट्स सिखाते हैं कि सच्चा प्रेम निस्वार्थ और अनंत होता है, चाहे वह भगवान के प्रति हो या मानवीय रिश्तों में। -
कृष्ण के कोट्स कैसे हमारे दैनिक जीवन में मदद कर सकते हैं?
कृष्ण के वचन तनाव, अनिश्चितता और निर्णय लेने की क्षमता में मदद करते हैं। उदाहरण के लिए:
– “डर किस बात का? आत्मा न तो जन्म लेती है, न मरती है” – यह कोट मृत्यु या परिवर्तन के भय को दूर करता है।
– “कर्म करो, फल की चिंता मत करो” – यह सिखाता है कि प्रयास पर ध्यान दें, नतीजे पर नहीं।
इन्हें अपनाकर कोई भी व्यक्ति मानसिक शांति और सफलता प्राप्त कर सकता है।
निष्कर्ष
भगवान श्रीकृष्ण के ये वचन केवल शब्द नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला हैं। इन्हें अपनाकर आप हर परिस्थिति में शांत, स्थिर और विजयी रह सकते हैं। चाहे प्रेम हो या कर्तव्य, संघर्ष हो या सफलता – कृष्ण की शिक्षाएँ हमेशा आपका मार्गदर्शन करेंगी।
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