“शिव स्तुति (Shiv Stuti Lyrics in Hindi)” में भगवान शंकर की प्रसिद्ध आरती और भजन के बोल जानें! ॐ नमः शिवाय मंत्र से जुड़ी यह स्तुति भक्तों के कष्ट दूर करती है। पढ़िए पूरी लेख और पाएं भोले बाबा की कृपा! 🙏
परिचय
भगवान शिव, जिन्हें “भोलेनाथ“, “महादेव” और “आशुतोष” कहा जाता है, हिंदू धर्म के सबसे पूज्यनीय देवताओं में से एक हैं। उनकी शिव स्तुति (Shiv Stuti Lyrics in Hindi) भक्तों के दिलों में विशेष स्थान रखती है। यह स्तुति न केवल उनके गुणों का वर्णन करती है, बल्कि भक्ति और आस्था से भरी हुई है।
इस लेख में, हम शिव स्तुति के हिंदी लिरिक्स (Shiv Stuti Lyrics in Hindi) प्रस्तुत कर रहे हैं, जिसे आप भजन, आरती या प्रार्थना के रूप में गा सकते हैं। चाहे आप महाशिवरात्रि मना रहे हों या रोजाना पूजा करते हों, यह स्तुति आपके लिए पवित्र और फलदायी साबित होगी।
शिव स्तुति लिरिक्स हिंदी में (Shiv Stuti Lyrics in Hindi)
1. “करपूर गौरं करुणावतारं”
करपूर गौरं करुणावतारं
संसार सारं भुजगेन्द्र हारम्।
सदा वसन्तं हृदयारविन्दे
भवं भवानी सहितं नमामि॥
भावार्थ (अर्थ):
जो कपूर के समान गौरवर्ण वाले हैं, करुणा के अवतार हैं,
जो संसार के सार (मूल तत्व) हैं और जिनके गले में सर्प की माला है,
जो सदा मेरे हृदय रूपी कमल में वास करते हैं,
ऐसे भगवान शिव को, माँ भवानी सहित, मैं नमस्कार करता हूँ।
2. आशुतोष शिव स्तुति
आशुतोष शशांक शेखर, जय जय गिरीश,
हर हर महादेव, जय जय नीलकंठेश।
अर्थ: हे “आशुतोष” (जो जल्दी प्रसन्न होते हैं), हे “शशांक शेखर” (चंद्रमा को धारण करने वाले), हे “गिरीश” (पर्वतों के स्वामी), आपकी जय हो! हे “महादेव” और “नीलकंठ” (विष पीकर कंठ नीला करने वाले), आपकी महिमा अद्भुत है!
त्रिपुरारी त्रिनेत्री, जटाधर शंभो,
भोले नाथ शंकर, दीनानाथ विश्वंभो।
अर्थ: हे “त्रिपुरारी” (त्रिपुरासुर का वध करने वाले), हे “त्रिनेत्री” (तीन नेत्रों वाले), हे “जटाधर” (जटाओं वाले शिव)! आप “भोले नाथ” (सरल हृदय), “शंकर” (कल्याणकारी), “दीनानाथ” (गरीबों के रक्षक) और “विश्वंभर” (संसार के पालनहार) हैं।
करुणा सिंधु सदाशिव, तुम हो पार्वती पति,
डमरूधारी भैरव, तुम हो अघोर भूतनाथी।
अर्थ: हे “करुणा सिंधु” (दया के सागर), हे “सदाशिव” (सर्वदा कल्याणकारी), आप पार्वती के पति हैं। आप “डमरू धारी” (डमरू बजाने वाले), “भैरव” (उग्र रूप) और “अघोर भूतनाथ” (भूत-प्रेतों के स्वामी) हैं।
3. ॐ नमः शिवाय स्तुति
ॐ नमः शिवाय, शिवाय नमः ॐ,
शंकर सदाशिव, शरणं तव चरणं।
अर्थ: “ॐ नमः शिवाय” (शिवजी को नमन) मंत्र का जाप करते हुए, हम “शंकर” (मंगलमय) और “सदाशिव” (शाश्वत कल्याणकर्ता) के चरणों में शरण लेते हैं।
भस्मी भुजंगी बाबा, त्रिशूलधारी गौरीश,
जय जय कैलाशपति, जय जय उमापति हर।
अर्थ: हे “भस्मी भुजंगी” (भस्म लगाने वाले और सर्पों को धारण करने वाले), हे “त्रिशूलधारी गौरीश” (पार्वती के स्वामी और त्रिशूल धारण करने वाले)! हे “कैलाशपति” (कैलाश के राजा) और “उमापति” (माता पार्वती के पति), आपकी जय हो!
4. शिव महिमा स्तुति
देवाधिदेव महादेव, भोलेनाथ शंकर,
त्रिनेत्र धारी गंगाधर, सबके स्वामी भंडारी।
अर्थ: हे “देवाधिदेव” (देवताओं के भी देव), हे “महादेव” (सर्वोच्च ईश्वर), हे “भोलेनाथ” (सरल हृदय शिव)! आप “त्रिनेत्रधारी” (तीसरी आँख वाले), “गंगाधर” (गंगा को धारण करने वाले) और “भंडारी” (संसार के संचालक) हैं।
जटाजूट में चंद्रमा, सर्पों का है श्रृंगार,
भस्मी भुजंगी भूतनाथ, डमरू वाले निरंकार।
अर्थ: आपकी जटाओं में चंद्रमा विराजमान है और सर्प आपका श्रृंगार हैं। आप “भस्म लगाने वाले”, “भूतनाथ” (भूत-प्रेतों के स्वामी), “डमरू वाले” और “निरंकार” (स्वरूपहीन परमात्मा) हैं।
5. शिव स्तुति का हिंदी अर्थ सहित
आशुतोष शशांक शेखर,
चन्द्र मौली चिदंबरा,
कोटि कोटि प्रणाम शम्भू,
कोटि नमन दिगम्बरा।।
अर्थ: हे आशुतोष (जो शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं), हे शशांक शेखर (जिनके सिर पर चंद्रमा है),
हे चंद्रमौली, हे चिदंबर (चिद-आकाश रूप),
आपको करोड़ों बार प्रणाम है, हे शंभू!
आपको बार-बार नमन है, हे दिगंबर (जो आकाश वस्त्रधारी हैं)।
निर्विकार ओंकार अविनाशी,
तुम्ही देवाधि देव,
जगत सर्जक प्रलय करता,
शिवम सत्यम सुंदरा।।
अर्थ: आप ही निर्विकार (बिना किसी विकार के), ओंकारस्वरूप और अविनाशी हैं,
आप ही देवों के भी देव हैं,
आप ही सृष्टि के रचयिता और संहारकर्ता हैं,
आप शिव हैं – जो कल्याणकारी, सत्यस्वरूप और सुंदर हैं।
निरंकार स्वरूप कालेश्वर,
महा योगीश्वरा,
दयानिधि दानिश्वर जय,
जटाधार अभयंकरा।।
अर्थ: आप निराकार रूप में विद्यमान हैं, आप कालेश्वर (काल के भी ईश्वर) हैं,
आप महान योगियों के भी स्वामी हैं,
आप दया के सागर और दान के स्वामी हैं – आपको विजय हो!
हे जटाओं वाले और भय नाश करने वाले प्रभु, आपको नमन है।
शूल पानी त्रिशूल धारी,
औगड़ी बाघम्बरी,
जय महेश त्रिलोचनाय,
विश्वनाथ विशम्भरा।।
अर्थ: आप हाथ में त्रिशूल धारण करते हैं,
औघड़ स्वभाव वाले और बाघम्बर (बाघ की खाल पहनने वाले) हैं,
आपको जय हो, हे महेश, त्रिनेत्रधारी!
हे विश्वनाथ (संसार के स्वामी), हे विशम्भर (पालक) – आपको नमन है।
नाथ नागेश्वर हरो हर,
पाप साप अभिशाप तम,
महादेव महान भोले,
सदा शिव शिव संकरा।।
अर्थ: हे नाथ! हे नागेश्वर! हे हर (पापों का हरण करने वाले),
आप पाप, सर्प, अभिशाप और अंधकार को नष्ट करते हैं,
आप महादेव हैं, अत्यंत महान और भोले हैं,
आप सदा शिव हैं, संकर हैं – कल्याण स्वरूप हैं।
जगत पति अनुरकती भक्ति,
सदैव तेरे चरण हो,
क्षमा हो अपराध सब,
जय जयति जगदीश्वरा।।
अर्थ: हे जगतपति! हमारा प्रेम और भक्ति
सदा आपके चरणों में बनी रहे,
हमारे सभी अपराध क्षमा करें,
हे जगदीश्वर! आपको बारंबार जय हो।
जनम जीवन जगत का,
संताप ताप मिटे सभी,
ॐ नमः शिवाय मन,
जपता रहे पञ्चाक्षरा।।
अर्थ: हमारे जन्म, जीवन और संसार के
सभी संताप और ताप मिट जाएं,
हमारा मन सदा “ॐ नमः शिवाय” – इस पंचाक्षर मंत्र का
निरंतर जाप करता रहे।
आशुतोष शशांक शेखर,
चन्द्र मौली चिदंबरा,
कोटि कोटि प्रणाम शम्भू,
कोटि नमन दिगम्बरा ।।
कोटि नमन दिगम्बरा..
कोटि नमन दिगम्बरा..
कोटि नमन दिगम्बरा..
अर्थ: हे शंभू! हे दिगंबर! आपको बार-बार करोड़ों प्रणाम।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न और उत्तर
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शिव स्तुति क्या है और इसे कब गाना चाहिए?
शिव स्तुति भगवान शिव की महिमा का वर्णन करने वाला एक भक्ति गीत है, जिसमें उनके गुणों, स्वरूप और कृपा का बखान किया जाता है। इसे सुबह-शाम की पूजा, महाशिवरात्रि, सोमवार व्रत या शिव मंदिरों में विशेष रूप से गाया जाता है। यह स्तुति मन को शांति देती है और भोले बाबा की कृपा पाने में सहायक होती है।
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शिव स्तुति का सबसे प्रसिद्ध मंत्र कौन-सा है?
शिव स्तुति में सबसे प्रसिद्ध मंत्र “ॐ नमः शिवाय” है, जिसे पंचाक्षर मंत्र भी कहा जाता है। यह मंत्र भगवान शिव को समर्पित है और इसे जपने से भक्तों के पाप दूर होते हैं। इसके अलावा, “हर हर महादेव“, “आशुतोष शशांक शेखर” और “कर्पूरगौरं” जैसे मंत्र भी शिव स्तुति में प्रमुख हैं।
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शिव स्तुति और शिव आरती में क्या अंतर है?
शिव स्तुति और शिव आरती दोनों ही भगवान शिव की भक्ति में गाए जाने वाले गीत हैं, लेकिन इनमें अंतर है। स्तुति में शिवजी के गुणों और महिमा का वर्णन होता है, जबकि आरती एक विशेष पूजन विधि है जिसमें दीपक जलाकर भगवान की प्रार्थना की जाती है। उदाहरण के लिए, “आशुतोष शशांक शेखर” एक स्तुति है, जबकि “जय शिव ओंकारा” एक आरती है।
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निष्कर्ष
शिव स्तुति लिरिक्स हिंदी में (Shiv Stuti Lyrics in Hindi) भक्तों के लिए एक शक्तिशाली मंत्र है, जो भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने में सहायक है। चाहे आप इसे सुबह-शाम की पूजा में गाएं या महाशिवरात्रि के विशेष अवसर पर, यह स्तुति आपके मन को शांति और आत्मविश्वास देगी।
“ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करते हुए इस स्तुति को गाने से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं और भोले बाबा की असीम कृपा प्राप्त होती है। 🙏 हर हर महादेव! शंभो नाथ की जय! 🚩